भजन - संग्रह

श्री गुरु जम्भेश्वर  भजन

भजन (1)
आव आव म्हारा जम्भ गुरु स्वामीआयां सरसी रेमरूधर देश में । टेर।
साल बंयारले काति बदी गुरु आप दिया उपदेश जी,  अंधियारो म्हारो दूर हो गयो उग्यो भाण जी  मरूधर देश में ।1
पाहल मंत्र पिया प्रेम सूंजिण सूं कटिया पाप जी बारह कोटि जीवां रे कारण आया आप जी । मरूधर देश में । 2
वर्ष इक्यावन सारी जगत मेंमानव धर्म चलाया जी उपदेश दियो उणतीस धर्म गुरु सबको सिखाया जी। मरूधर देश में ।3
छोटी मोटी सब न्याति को अमृत प्यालो पायो जी समराथल भूमि पर गुरुजी पन्थ चलायो जी । मरूधर देश में । 4
विष्णु धर्म की करी स्थापना वो दिन याद आवे जी आज थारे बिन जीव कलयुग में घणो दु:ख पावे जी । मरूधर देश में । 5
जाली कांगरा निज मंदिर रा थारे हाथ सूं बणाया जी मुकटि छाजा छतरी राखगुरु मंदिर चिणायो जी । मरूधर देश में । 6
थारी समाधि रो दर्शण कर जीव म्हारो बिलमावां जी सुरजाराम सूं भजन सीख म्हें हरदम गावा जी । मरूधर देश में । 7


भजन (2)
मातपिता के सामने प्रगटिया दीन दयाल रूप सुहावणों । टेर।
हंसा लोहट मन हर्ष मनावे हो गया निरख निहाल । 1
मुकुट शीश पर हद बण्योप्यारे मोहन नैन विशाल । 2
आयुद्ध धारण भुजा चारो में गल वैजन्ती माल । 3
पदम पांव में शोभा न्यारीकुण्डल कान गोपाल । 4
झिलमिल बदन ज्योति झलकावेआयो सागी नन्दलाल । 5
तीन लोक रो नाथ सांवरियोभगता रो प्रतिपाल । 6
रामकरण कहे सुख मिल्योकट्या जन्म मरण रा जाल । 7


भजन (3)
चालो म्हारी सहियां ए जाम्भेजी रा मेला में । टेर।
सोने रूपे री सहिया ईंट पड़ास्यांमंदिर चिणास्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 1
कूं कूं केसर री सहियां गार गिलोस्यांमंदिर निपास्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 2
गंगा जमना रो सहिया नीर मंगास्यांगुरु ने न्हवास्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 3
गोरी गाय रो सहियां दूध मंगास्यांगुरु ने पिलास्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 4
हिंगलू पागा रो सहियां ढ़ोलियो ढलास्यांगुरु ने पोढ़ास्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 5
घिरत गायां रो सहियां छाणकर लास्यांजोत करास्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 6
मोठ बाजरी री सहियां चूण लेजास्यांदरसण करस्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 7
चार खूंटा रा सहियां आवे जातरीधोक लगास्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 8
साखी गायसांसबद बोलस्यांमुरली गायस्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 9
अन्न धन रो भण्डार भरेगुरु कूख भरेला एजाम्भेजी रा मेला में । 10
सात सहेल्यां रलमिल जास्यांहरजस गायस्यां एजाम्भेजी रा मेला में । 11


भजन (4)
म्हाने आछा लागे महाराज दरसण जाम्भेजी रा ।
म्हाने प्यारा लगे गुरुदेव दरसण जाम्भेजी रा। टेर।
जो जन धुन शब्दां री सुणियेघट परमल की बास दरसण जाम्भेजी रा । 1
चहूं दिस सन्मुख पीठ नहीं दरसेक्रोड़ भाण प्रकाश दरसण जाम्भेजी रा । 2
चालत खोज खेह नहीं खटकोनहीं दिसे तन छांय दरसण जाम्भेजी रा । 3
भगवी टोपी भगवो चोलोभलो सुरंगो भेष दरसण जाम्भेजी रा । 4
समराथल पर आसण लगायोदिया शबदां रा उपदेश दरसण जाम्भेजी रा । 5

भजन (5)
तर्ज- खम्मा खम्मा ओ धणियां....
चालो एं सहेल्यां आपा जाम्भेजी रे चालांनिव निव धोक लगावां ए चालो जाम्भेजी रे चालां ।
समराथल सोनवी नगरीअद्भुत महिमा हे ज्यांरी दूर देशां सू आवे जातरीनवण करे है नर नारी ।
अदक भूमि रा आपां दरसण पावांचालो जाम्भेजी रे चालां । 1
बरस इक्यावन तप्या गुरुजीज्ञान दिया था वेदों कासबदवाणी बड़ी मधुर थी,
किया खुलासा भेदों कावेद ज्ञान री गंगा में न्हावांचालो जाम्भेजी रे चालां । 2
इमरत पाहल मिले पीवण नेजोत रा दरसण मिलसी ।
माटी काडा नाडिये रीमन रो कमल घणो खिलसी ।
भगतां संता सूं ज्ञान सुण आवांचालो जाम्भेजी रे चालां । 3
घिरत खोपरा धूप लेजावांजोत रा दरसण पावां । मोठ बाजारी चूण ले जावांसमराथल धोरे जावां ।
साखी आरती और मुरली गावांचालो जाम्भेजी रे चालां । 4
धान धीणो रूप देवेधन रा भरे भण्डार । बांझिया ने पूत देवेदीनबंधु सिरजणहार ।
जुगती और मुगती चावांचालो जाम्भेजी रे चालां । 5
चरणचिन्ह और खाण्डो मिलसीरोटू वाले मंदिर में चोलो चिम्पी जांगलू मेंखड़ाऊ पींपासर में ।
दरसण कर मन हरसावांचालो जाम्भेजी रे चाला । 6
फोगड़ा कंकेड़ी केरधोरे पर है कुमटिया । चूण चुगेमोर गेरी परेवा और सुवटिया ।
रामरतन हरजस गावाचालो जाम्भेजी रे चाला । 7


भजन (6)
श्री जम्भेश्वरजी अरजी सुणोमैं दर्शन करने आया हूँ। टेर।
भगवी टोपी गेरुओं चोलोअद्भुत रूप बणाया जी ।
पेट पीठ कछूं दीखे नाहींसबके सम्मुख सुहाया जी । 1
ना कुछ खाओ ना कुछ पीओ दिन दिन दिखो सवाया जी ।
तन की ऐसी खूशबू आवेचंदन का पेड़ लगाया जी । 2
चालत धरती पाव ना टेकोना दीखे तन छाया जी।
चारों दिशा में फि रकर देखाथारां रूप समाया जी । 3
फोग कंकेड़ी का बाग लगायाबीच में जाल सुहाया जी ।
नाचे मोरपरैवा बोलेकैसा खेल रचाया जी । 4
जीवन मुक्ति का मार्ग बतायासबही के मन भाया जी ।
गुरुदेव ने खडग़ चलायासीताराम गुण गाया जी । 5


भजन (7)
तर्ज- ब्याव बीनणी बिलखूं.....
धन-धन म्हारो भाग जागियोसतगुरु आया आंगण में,
सगला म्हारा पाप धोय दियाइस जुमले और जागण में । टेर।
समराथल सोने की नगरीकण-कण हीरा मोती है,
जिण पर श्री गुरुदेव विराजेअलख निरंजन जोती है।
आदि विष्णु जाम्भेजी रादर्शण पा लिया सागण मैं । 1
भूल्यां भटक्या जीवां खातिरजागण जमो रचायो है,
बरस एक में जमो दिराओओही धरम भूलायो है ।
जमो दिराओ होम कराओसुख विष्णु गुण गावण में । 2
बचपन खेलकूद में खोयोभूल्यो रह्यो जवानी में,
गई जवानीआयो बुढ़पोगुरुजी री आज्ञा मानी मैं ।
भलो दिहाड़ो आज ऊगियोबदी चवदश आई फागण में । 3
इण जागण री महिमा भारीमुख से वरणी ना जावे ।
हिरदे विष्णु नाम रहेबाजोजी यूं फ रमावै ।
साधे मोमणे कमी ना राखीसाखी शब्द सुणावण में । 4
धर्म कर्म ना भजन कियो हैजैसो तैसो हूं थारो।
दीन गरीब जान प्रभुजी बेड़ो पार करो म्हारो ।
भूली चूकी माफ  करीज्योसेवा चाकरी राखण में । 5
नवण प्रणाम मानज्यो म्हारीसेवक भोलो भालो हूं,
ऊपर से उजलो दीसूंपर मन भीतर सूं कालो हूं ।
रामकरण कहे फिर नहीं आऊंइस आवा और जावण में । 6


भजन (8)
(जम्भेश्वर भगवान का अवतार हुआ उस समय जन्मघूंटी देने वाली बुढिय़ा को चमत्कार)
जम्भेश्वर भगवान दयालु सबकी लाज बचावे । बुढिय़ा रो मन देख उदासगुरुजी ज्ञान बतावे।
जब हिरदे में भयो चानणोबुढिय़ा मंगल गावे। घूमर घात नाचण लागीहाथां-ताल बजावे ।
सुणो सहेल्यां नार भोलक्यांसबने ही समझावे। ओ बालक है जगत पिता श्री विष्णु देव कहावै।
तीन लोक ने पोखण वालोइणने कौन जिमावे । मच्छ कच्छ रूप धरयो बाराह कोअसुर संहारण आवे।
ऋषि मुनि क्या ब्रह्मा सरस्वतीशेष भेद नहीं पावे । जनम मरण सूं न्यारो रैवेअजर अमर कहलावै।
कांई कांई कहूं ओपमाइणरी महिमा वरणी ना जावे । बार बार प्रणाम कहेचरणां में शीष निवावे।
जो नर भगती करे प्रेम सूंआवागवण मिट जावे। रामकरण कहे धिन धन प्रभु थारी माया लखी न जावे ।
आओनी म्हारी जागण में समराथल रा जाम्भाजी समराथल रा भगत आपरासंग में लाज्यो जाम्भाजी ।


भजन (9)
ठुमक-ठुमक  देखो आवे जम्भराजहंसा जो मगन भई देख्यो ऐसो साज ।
आगे आगे गऊआं चालेपीछे चाले ग्वालसारां बीचे चाले हंसा लोहटजी रो लाल । 1
आवत देखी गऊआं नगर की नारहंसा आगे सखियां करे पुकार । 2
सिर पे सुहावे टोपीगले काली मालकांधे धर गेडी चालेअद्भुत चाल । 3
बोले नहीं मुखड़े सूं करे सब काजलीला ज्यारी लखी नहींपीपासर समाज । 4
पूर्ण ब्रह्म रूप धार लियो भेषपार नहीं पावेब्रह्मा विष्णु महेश । 5
ओ ही लोहट सुतओ ही कृष्णमुरारसेवक आलम गुण रहयो उचार । 6


भजन (10)
गाओ गाओ ए सहियां म्हारी गीतड़लामुरली गाओ ए मुकाम। सुणेला थारी जाम्भोजी । टेर ।
गढ़ चितौड़ां ए जाम्भोजी पधारियाझाली राणी रो दु:ख दियो मेट । सुणेला थारी जाम्भोजी । 1
सांसा जिणरा ए पल मांही काटियासुण जाम्भोजी ग्यान । सुणेला थारी जाम्भोजी । 2
रावण गोविन्द ए जलरा प्यासियाबादल दियो बरसाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 3
शहर फलोदी रा  ए राव हमीरजीज्यांरी दीन्हीं तपत बुझाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 4
वील्हो खाती ए रेवाड़ी शहर रोज्यांरो कंचन कियो शरीर । सुणेला थारी जाम्भोजी । 5
बाजेजी भगत रो ए दुखड़ो निवारियोबेटो दियो जवान । सुणेला थारी जाम्भोजी । 6
अलू चारण री ए व्यथा मिटाय दीज्यांरो काट्यो जलोदर रोग । सुणेला थारी जाम्भोजी । 7
सिरिया झमकू ए जाम्भेजी री चेलियांज्याने सुरगां दी पंहुचाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 8
इण तीन लोक में ए बाने मत भूलज्योघर-घर करो प्रचार । सुणेला थारी जाम्भोजी । 9
अमर सुहागण ए जाम्भेजी राखेलाभरिया राखेला भण्डार । सुणेला थारी जाम्भोजी । 10
गावे ज्यारां ए पाप झड़ पड़ैआवागवण मिट जाय । सुणेला थारी जाम्भोजी । 11
हरजस कथियो ए सुरजाराम नेराख पूरो विश्वास । सुणेला थारी जाम्भोजी । 12


भजन (11)
अमरलोक सूं म्हारा जाम्भोजी पधारियाघर लोहट अवतार लियो सिरिया झीमाबाई करे थारी आरती
चंवर ढ़ुलावे आलम सालम जीओ सोने रे सिंहासन माथे जाम्भोजी विराजीयाभगत उतारे थारी आरती जीओ 
जींझा मजीरा थारे बाजे मंदिर मेंझालर री झणकार जीओ नौपत नगारा थारे गहरा गहरा बाजेशंखा रा बाजे तुंताड़ जीओ 
घृत गूगल थारे चढ़े मिठाईआवे कपूर महकार जीओ। प्रेमभाव से थाने मनावेनिवण करने नर नारी जीओ । 
खुला थारा पडिय़ा पोल दरवाजाधोक लगावे नर नारी जीओ । केर कुमटिया चोखा घणा लागेऔर फोगां री झाड़ी जीओ ।


भजन (12)
म्हाने जाम्भेजी दीयो उपदेश,
भाग म्हारो जागीयोमरूधर देश समराथल भूमि गुरूजी दियो उपदेश ।
पीपासर में प्रकट भया जब आय सुधार्यो बागड़ देश । 1
बीदे ने विराट दिखायोपूल्हे ने पातालउन्नतीस नियम सुणाय गुरूजी पायो म्हाने अमृत पाहल । 2
सांगा राणा और नरेशां परच्यो महमद खानलोदी सिंकदर ऐसो परच्यो पढऩी छोड़ दी कुरान । 3
चिम्पी चोलो उणरे तन रो पडिय़ो जांगलू मांयचिम्पी चोले रा दरसण करस्यांन्हावाला बरसिंगाली जाय । 4
मोखराम बंगाली वालो हरिचरणा लवलीनदास जाण म्हापे किरपा कीज्योहोऊं भक्ति में प्रवीन । 5



भजन (13)
तर्ज- अब लौट के आजा मेरे मीत...
अब दर्शन देवो जम्भदेवभगत तेरे द्वार पे आये हैं । टेर।
पन्द्रह सौ और साल आठ में थे पीपासर आया । माता हंसा गोद खिलायालोहट मन हर्षाया ।
रहे सात वर्ष तक मौनबाल लीला दिखाई है । अब दर्शन देओ.......... । 1
दूदेजी ने खाण्डो दीन्होराज मेड़तो पायो। लोहटजी ने देख्यो अचम्भोआंगन जल बरसायो ।
वर्ष बीस और सातग्वालों संग धेनु चराई है । अब दर्शन देओ.......... । 2
पन्द्रह सौ और साल बंयाले बिश्रोई पंथ चलायो । जात पांत रो भेद मिटाकरअमृत पाहल पिलायो।
दीन्हो वर्ष इक्यावन ग्यानधर्म की धजा फहराई है । अब दर्शन देओ.......... । 3
उमाबाई ले बत्तीसीसमराथल पर आई रोटू गांव में बाग लगायोखेजडिय़ां उगाई ।
भर्यो ठाट -बाट सूं भातउमा ने बहन बणाई है। अब दर्शन देओ.......... । 4
विष्णुं- विष्णुं तूं भण रे प्राणीओ ही मंत्र सिखायो । पन्द्रह सौ और साल तेणवें ज्योति में रूप समायो ।
करे रामरतन गुणगानदर्शन की आश लगाई है । अब दर्शन देओ.......... । 5


भजन (14)
तर्ज- ब्याव बीनणी बिलखूं...........
माता हंसा पिता लोहट रो जम्भदेव है टाबरियो । पीपासर अवतार लियो समराथल बैठो सांवरियो । टेर।
मात पिता ने करी तैयारीब्याव सगाई म्हें करस्यां माने बहु हुक्म हमारो म्हे तो बैठा भजन करस्यां ।
तूं जम्भेश्वर सींचे कोहरहल पे हाथ तुम जा धरियो । 1
मात पिता ने यूं समझावेबात मानलो थे म्हारी । बाल जती बण रहूं जगत मेंसेवा करस्यूं मैं थारी ।
जोगी बणूलांगुरु करूंलाब्याव भूल में ना करियो । 2
मात पिता जब स्वर्ग सिधाएजोग पणो धारण कीन्हो। मन में समझ गुरु गोरख ने भगवो भेष धार लीन्हो।
शब्द सुणायाज्ञान बतायोछोड़ दियो अपनो घरियो । 3
नव और बीस नियम बताय बिश्रोई पंथ चलाय दियो। हिन्दू मुस्लिम करी एकतामन को भरम मिटाय दियो।
शब्द सुणायापाहल पिलायोप्यालो अमृत को भरियो । 4
परच्यो बादशाहलोदी सिंकदरमहम्मदखां नागौरी नै। दूदोसातल सांगा जेतसिंहमान गया तपधारी नै ।
अनवी निवग्यापांये पड़ग्यागुरु फरमाई सो करियो। 5
ऐसे दीनदयाल प्रभु कोविष्णु रूप समझो भाई । रामकरण कहे फिर जीवन में कमी रहेला ना काई।
विष्णु जपना भव से टपनाजन्म जन्म फिर ना मरियो । 6


भजन (15)
तर्जः घूमर म्हाने जाम्भेजी रा दर्शन प्यारा लागे ए मायदर्शन करबा म्हे जांस्या । टेर।
नरसिंह रूप सतजुग में आयाभगत प्रहलाद को वचन सुनाया ।
एतो वचनां रा बाध्या आया ए माय । दर्शन...... ।1
हंसा लोहट घर बंटत बधाईपीपसर में खुशियां छाई एतो देव सुमन बरसाया ए माय। दर्शन...... ।2
ग्वाल बाल संग गऊंआ चारीतपसी रूप रहे ब्रह्मचारी एतो समराथल आसण लगाया ए माय। दर्शन...... ।3
जीव दया रो पाठ पढ़ायोविष्णु नांव रो जाप बतायो एतो सबदां रा ज्ञान सुनाया ए माय। दर्शन...... ।4
सब देवा सूं रचना न्यारीझिगमिग ज्योति लागे प्यारी एतो रामरतन जस गाया ए माय। दर्शन...... । 5


भजन (16)
म्हाने गुरूजी मिलण रो लागो कोड। समराथल धोरे जावांला। टेर।
गुरूजी मिलण रो काड लाग रह्योजास्यां धाम मुकामकई जनमां रा पाप काटस्यांपावांला मुक्ति धाम । 1
अमावस रो वरत राखस्यांधर जम्भेश्वर ध्यान माटी काडां नाडिये री पावांला मुक्ति धाम । 2
थारे जातरू आवे घणेराम्हाने भूलज्यो नाय समराथल धोरे री माटी लेवाला अंग मे रमाय । 3
चरण कमल रा थारा खड़ाऊ पडय़ा पीपासर मांय चोलो थारो पडय़ो जांगलूटोपी है धाम मुकाम । 4
जाम्भोलाव थारो जम्भ सरोवरथे खुद आप खुदायो चेत भादवे मेलो भरीजेमन वांछित फल पांवा । 5
फोग कंकेड़ी कुं मठा रो है धोरे पर बाग उण धोरे रा दरसण करस्यां बारम्बार नंदराम । 6


भजन (17)
संगरी सहेल्या रलमिल चालीआपा मेले जायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । टेर ।
धोरे ऊपर हरी कंकेड़ीझिगमिग जोत जगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 1
अगुणी पेड़ी चढ़ धोक लगायसांहुय उतराधी आयसां ए जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 2
गोरी गायां रो घिरत ले जायसांगुरूजी री जोत जगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 3
फागण बदी तेरस और चवद्सशिवरात्रि रो जागण लगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 4
दिन ऊगेरी भावज आपांगूगल घिरत चढ़ायसा ए जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 5
भगवी टोपी काली मालानित उठ दरसण करस्या एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 6
चिडिय़ा गेरी मोर सुवटियाबाने चूण चुगायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 7
हरि चरणां में कालूराम बोलेआपा रलमिल जायसा एं जाम्भेजी रा दरसण पायसां । 8

भजन (18)
तर्जः कजरा मोहब्बत वाला (फिल्मी)
चालो समराथल चालांनिंव निंव कर धोक लगालां।
कट जावे पाप तमामसमराथल जाम्भेजी रो धाम। टेर।
मास फागण रो आयोमनड़ो घणो हरसायो आधे फागण री अमावस,
समराथल मेलो छायो ज्योति स्वरूपी जम्भगुरुज्योति रा दरसण पालो,
ज्योति सूं होवे उजालोप्रीति सूं तिलक लगालो हिवड़े सूं करो प्रणाम। 1
महिमा इण थल री भारीगांवा जद लागे प्यारी। समराथल वन रे मांहीजाम्भेजी गऊआं चारी।
फोग कुमटिया सुंदरखेले थे आप मुरारी।।
चरणां री माटी उठालोमल मल के तन पे रमालो आनन्द रहवे आठो याम। 2
यहां पर बिश्नोई बणायागुरुजी म्हाने पाहल पिलाया स्वर्गा रो राह बतायो,
सबदा रो ज्ञान सुणायो सबदा सूं होवे उजालोहोवे जमड़ा सूं टालो।
जन्म मरण सूं टाल्यागुरुजी म्हाने ज्ञान बतायो। मिले सुरगां रो बास। 3
जो कोई समराथल जावेजुगति और मुगति पावे रामकरण कहवे उणरा जनम मरण मिट जावे समराथल मंदिर भारी
 पूजे बालक नर नारी माटी को शीश चढ़ावोनीचे सूं ऊपर लावो सिमरो जाम्भोजी रो नाम। 4


भजन (19)
गीत (जाम्भोजी का माँ एवं बुआ का संवाद)
मां-   बोले नाहीं ए नणद म्हारो लाडलो । बहुत फि कर की बात भतीजो थारो ए।
भुआ- भावज म्हारी ए फि कर थे मती करो । बोले लो दिन रात भतीजो म्हारो ए । 1
मां-    चुंगे नाहीं ऐ नणद म्हारो लाडलो । बहुत फि कर की बात भतीजो थारो ए। 2
भुआ-  भावज म्हारी ए फि कर थे मती करो । चुंगे लो थन आय भतीजो म्हारो ए । 3
मां-     सोवे नहीं ए नणद म्हारो लाडलो । बहुत फिकर की बात भतीजो थारो ए। 4
भुआ-  भावज म्हारी ए सुखभर सोवेला । कालजिये री कोर भतीजो म्हारो ए । 5
भावज म्हारी ए हुयो घर चानणो । सूरज उग्यो भोर भतीजो म्हारो ए । 6
भावज म्हारी ए विष्णु घर आवियो । ओ हे रामकरण रो नाथ भतीजो म्हारो ए । 7


भजन (20)
मैं जिसको प्रणाम करूंवो सतगुरु देव जम्भेश्वर है।
ध्यान लगाऊशीश निवाऊएक भरोसा उन पर है।। टेर।।
उनकी रचना नृसिंह ने प्रहलाद को दरस दिखाया था
युग युग में प्रभु जीव तारने दिया वचन निभाया था
कलयुग में जाम्भोजी आयेउनका ही फरमाया था।। 1।।
बागड़ देश गांव पीपासर जाम्भोजी का जनम हुआ
माता हंसा पिता लोहट के आंगन में शुभकर्म हुआ
ओम विष्णु पूजा ओम विष्णु सुमिरण जाम्भोजी का जनम हुआ। 2
पन्दरासो के साल बयाले जाम्भोजी पंथ प्रगट किया
सबसे पहले जाम्भोजी ने पूलहोजी को पाहल दिया
भव से पार तारने वाला ओम विष्णु का मंत्र दिया। 3
उनसे तो अरदास करेंगे वो ही सुनने वाले हैं
सब जग के प्रभु कर्ता धर्ता वो ही रखने वाले हैं
सेवक रामकरण कहे गुरुजी रक्षा करने वाले हैं। 4


भजन (21)
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । टेर ।
समराथल रे धोरे ऊपर जागण जोर रचायोजीआलमजीसालमजीजागण दीन्हों सतगुरु जाम्भाजी ।
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 1
बाजेजी भगत रो थेतोयज्ञ सम्पूर्ण करीयोजीबाजेजी भगत रे जागण दीन्होसतगुरु जाम्भाजी ।
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 2
त्रेतायुग में सीता कारण लंका आप पधारयाजीसीताजी ने जाकर दर्शन दीन्हो सतगुरु जाम्भाजी ।
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 3
द्वापर युग में रूक्मणी री प्रीत पूरबली पालीजीअपने कर सूं रथ में बैठाई सतगुरु जाम्भाजी ।
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 4
कोढ़ी हो तो जैसलमेर रो जेतसिंह महाराजाजीराजाजी रे तन री कोढ़ झाड़ी सतगुरु जाम्भाजी ।
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 5
भगवीं टोपी भगवों चोलोप्यारो म्हाने लागे जीसारां ही भगतां ने संग लाज्यो सतगुरु जाम्भाजी ।
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 6
तूं ही रामातूं ही कृ ष्णा तूं ही मोहन गिरधारीतूं ही सुरजाराम ने बिसारियों मत ना जाम्भाजी ।
म्हारी जागण में थाने आया ही सरे । 7


भजन (22)
द्वार पे गुरुदेव के हम आ गए ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। टेर।।
देखलो हमको भला दर्शन हुआ प्रेम हिरदे में मगन प्रसन्न हुआ
हर तरफ आनन्द ही आनन्द छा गए।
ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 1।।
भाव श्रद्धा के सुमन अर्पण करें रात दिन हरि हरि सुमरण करें मंत्र सतगुरुजी हमें बतला गए।
ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 2।।
प्रीत चरणों में बनी हमकी रहे भजन करने में लगन सबकी रहे
ज्ञान सतगुरुजी यही बतला गए ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 3।।
रामकरण का ध्यान छूटे नहीं तार जो इकतार ये टूटे नहीं
सतगुरु बिना मोक्ष नहीं,बतला गए
ज्योति में दर्शन गुरु का पा गए।। 4।।